NEET 2020 की परीक्षा में शीर्ष स्थान हासिल करने वाली आकांक्षा की तैयारी का क्या तरीका था ये आप सभी निश्चित रूप से जानना चाहते होंगे. हमारी रिसर्च टीम ने आकांक्षा के द्वारा दिए गए अनेक इंटरव्यू की समीक्षा की और आपके लिए उसका सारांश लेकर आपके सामने उपस्थित है.

शांत हृदय 

यदि आप कुछ विशेष हासिल करना चाहते हैं तो बहरी घटनाओं से बिना प्रभावित हुए आपको अपने लक्ष्य की तरफ लगातार आगे बढ़ते रहना होगा. कोरोना बीमारी के कारण पिछले साल NEET की परीक्षा काफी देर से हुई थी. आकांक्षा के मुताबिक उन्होंने  इसे एक अवसर के रूप में देखा. बाहर क्या हो रहा है इसपर ध्यान दिए बिना उन्होंने लगातार रिवीजन और प्रैक्टिस जारी रखा. परिणाम आपके समक्ष है. कुशीनगर के एक माध्यम परिवार की आकांक्षा आज AIIMS में अपने सपनों को साकार करने की दिशा में अग्रसर है. 

एकहिं साधे सब सधै 

आकांक्षा का कहना है कि अनेक किताबों और स्टडी मटेरियल के मायाजाल में फँसने की बजाय उन्होंने बेसिक पर ज्यादा ध्यान दिया. सारे बेसिक नॉलेज को इस कदर अपना बनाया कि उनके उपयोग करने उन्हें कभी कोई दिक्कत महसूस नहीं हुई. इसके लिए NCERT की किताबों का समयबद्ध तरीके से अध्ययन किया. 

अभ्यास, अभ्यास, और अभ्यास 

ज्ञान का उपयोग नहीं किया जाये तो वह ज्ञान लुप्त हो जाता है या फिर समय आने पर काम नहीं देता है. NEET की परीक्षा जिसमे 180 मिनट में 180 प्रश्न हल करने होते हैं उस परीक्षा में सभी प्रश्नों को बिलकुल सही सही हल कर देना कोई मामूली काम नहीं है. आप ऐसा कर पाने में तभी सक्षम हो पाएंगे जब आपने किया हो वह अभ्यास जो आपको परफेक्शन की तरफ ले जाता है. प्रत्येक दिन दो मॉक टेस्ट का अभ्यास आकांक्षा करती थी, ऐसा उन्होंने बताया. टेस्ट और उसके  डिस्कशन ने उनके कांसेप्ट को बहुत ही मजबूत आधारशिला दी. वे सभी मॉक टेस्ट को दो घंटे में ही हल करने का प्रयास करती थी. लगातार ऐसे प्रयास ने उनके स्पीड को बहुत बढ़ा दिया और फाइनल एग्जाम में उन्हें सारे प्रश्न हल करने बाद 30 मिनट का समय मिल गया था रिवीजन करने के लिए. 

फाइनल एग्जाम की रणनीति 

फाइनल एग्जाम में उन्होंने सबसे पहले अपने प्रिय विषय फिजिक्स को सबसे पहले हल किया. वैसे भी हम जानते हैं NEET की परीक्षा में बेहतर वही कर सकता है जिसका फिजिक्स बेहतर होता है.  इस मान्यता पर आकांक्षा ने मुहर लगा दी. पहले प्रयास में उन्होंने पूरे पेपर को हल किया और उन प्रश्नों को छोड़कर आगे बढ़ती गयी जिनके उत्तर निकलने थोड़े कठिन थे.  उसके बाद उसने पेपर को उलटी दिशा में वापस आते हुए सॉल्व किया. इस बार उसने उन सभी प्रश्नों को हल किये जो छोटे हुए थे. जब सारे प्रश्न हल हो चेके थे तब उसके पास 30 मिनट का समय बचा हुआ था. अब बारी थी रिवीजन की. इस समय में उसने सभी प्रश्नों का रिवीजन किया और एक दो जगह जो भी गलती हुई उसे ठीक किया. एग्जाम हॉल से संतुष्टि के साथ बाहर निकली. बाकी तो वो कहानी है जो हम और आप सभी जानते हैं. 

इस प्रकार से आकांक्षा की कहानी जानकर और उससे प्रेरणा लेकर आप भी अपने जीवन लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ें. 

मेहनत इतनी ख़ामोशी से करो कि सफलता शोर मचा दे